राठौर फैमिली में आज चारों तरफ खुशी का महौल था घर का हॉल पुरा फुलों से सजा हुआ था क्योंकि आज विक्रम सिंह राठौर का साठवां जन्मदिन की शानदार पार्टी का आयोजन किया गया था राठौर फैमिली ने तो इस शानदार पार्टी में बड़े-बड़े बिजनस मैन,रिश्तदार आदि आये हुये थे।
पार्टी की सजावट बहुत ही भव्य और आकर्षक थी।परंतु अभी तक विक्रम सिंह राठौर किसी को दिखाई नहीं दिये थे।सभी सोच ही रहे थे कि विक्रम सिंह राठौर कहां पे है तो तभी बिजली बंद हो जाती है और एक फोक्स लाईट को सीढियों की तरफ किया जाता है तो वहां पर एक लम्बी कद काठी वाला कसा हुआ शरीर,चेहरे पर रौनक और सिर पर सफेद बाल,चेहरे पर सफेद दाड़ी -मूंछ वाला हटा -कटा व्यक्ति सफेद कोट,सफेद पेंट पहने हुये अपने हाथ एक शाही छड़ी लिये हुये दिखाई देता है ।उसे देखकर तो ऐसा लग रहा था कि मानों यह व्यक्ति साठ साल का ना हो बल्कि यह तो तीस साल के जवान लड़के जैसा दिख रहा है। अगर सिर के बाल और दीढी मूंछ सफेद ना हो तो पका यह व्यक्ति तीस साल के जवान जैसा दिखता।
ये है कौन ...तभी भीड़ में से एक महिला कहती है ये तो विक्रम सिंह राठौर जी है ...उसकी बात सुनकर सभी लोग जब गौर देखते हैं तब उन सबको पता चलता है यह आकर्षक दिखने वाला व्यक्ति विक्रम सिंह राठौर है।
विक्रम सिंह राठौर का गठीला शरीर,कसा हुआ बदन,चेहरे पर शानदार चमक ,ओज को देखकर एक महिला अपनी साथ की महिला से कहती है ये आज भी कितने हैंडसम दिखते हैं।इन्हें देखकर कोई भी नहीं कह सकता है कि ये साठ साल के हो गये है। बल्कि ये तो अभी भी जवान दिख रहे।
विक्रम सिंह राठौर के आकर्षक व्यक्तित्व ने कई महिलाओं के दिल को चुरा लिया था।कई महिलायें तो उनकी दिवानी सी हो गई थी।
दिवानी होती भी क्यूं नहीं आखिर ये विक्रम सिंह राठौर जो है ...जो राठौर इंटरप्राईज कम्पनी के मालिक है और बिजनस की दुनिया में इनका बहुत बड़ा नाम जो है और इनका बिजनस इम्पायर तो पूरे इंडिया के साथ -साथ विदेशों में भी फैला हुआ था।
विक्रम सिंह राठौर अपने होंठों पर हल्की सी स्माईल लाते हुये अपने हाथों में शाही छड़ी लिये हुये सफेद कोट और सफेद पेंट पहने हुये सीढियों से नीचे उतरते है और फोक्स लाईट उनको फोलो करती हुई उनके साथ -साथ चल रही थी। इस दृश्य को देखकर ऐसा लग रहा था मानों की कोई महाराजा अपने दरबार पर आ रहे हो।
सीढियों को उतर कर विक्रम सिंह राठौर पार्टी हॉल में पहुंचते है और फिर कमरे की सारी लाईट जला दी जाती है।
विक्रम सिंह राठौर अपने जान -पहचान के दोस्तों व बिजनेस मैन वालों से हाथ मिलाता है और फिर जैसे ही बारह बजे का समय होता है तो नौकर एक Trolleys टेबल के ऊपर रखा हुआ शानदार बर्थडे़ को लेकर आता है।
केक के ऊपर बडे -बडे अक्षरों में हैप्पी बर्थडे टू यू लिखा था और उसके ऊपर बडे अक्षरों विक्रम सिंह राठौर लिखा हुआ था और साथ ही 60 साल का नम्बर टैग लगा हुआ था ..केक के चारों ओर बर्थडे कैंड़ल जली हुई थी ।
केक को विक्रम सिंह राठौर के आगे रखा गया और फिर विक्रम सिंह राठौर मोमब्बती को फूंक मारकर बुझाता है और चाकू से केक का कट करती है और केक का पहला बाईट अपनी धर्म पत्नी शालिनी को खिलाया और शालिनी ने अपने हाथों से विक्रम सिंह राठौर को केक खिलाया।फिर विक्रम सिंह राठौर ने अपनी लाडली बेटी सायरा को केक का बाइट खिलाया और सायरा ने भी विक्रम सिंह राठौर को केक का एक बााईट खिलाया। फिर केक सभी मेहमानों में बांटा गया।उसके बाद सभी को खाना खिलाया और फिर सभी गिफ्ट आदि देकर अपने घर चले जाते हैं।
विक्रम सिंह राठौर पार्टी के बाद सीधा अपनी लाईब्रेरी चला गया और वहां कम्पनी के कुछ जरूरी कागजात को पढ़ने लगा तो अचानक से पूरे घर की लाईट चली जाती है।
विक्रम सिंह राठौर अपने टेब की dror को खोलता है उसमें मोमब्बती ढूंढने लगता है कि तभी उसे कमरे में किसी के पैरों की आहाट सुनाई देती है।पैरों की आहाट सुनकर विक्रम सिंह राठौर चौंक जाता है और चौंकते हुये कहता है कि ...क...क..कौन है? शालिनी ये तुम हो क्या? कुछ तो बोलो शालिनी...
पर किसी का कोई जबाव नहीं आता है और विक्रम सिंह राठौर देखने की कोशिस करता है परंतु अंधेरा होने के कारण सही से कुछ दिखाई नहीं दे पाता है तो विक्रम सिंह राठौर कुर्सी से उठ खड़ा होकर जहां से आवाज आई थी तो उस दिशा की तरफ चलने के कदम आगे बढाता ही था कि तब एक परछाई उसके सामने आ जाती है।जो एक व्यक्ति था और उसने काले कपडे और नकाबपोश पहन रखा था...इतना ही विक्रम सिंह राठौर देख पाता है...पर अंधेरा होेने के कारण उसे कालेकपडेधारी नकाबपोश वाले को सही नहीं दिख पा रहा था ..विक्रम सिंह कहता है कौन हो तुम...तुम अंदर कैसे आये..तो वह कालेकपड़ेधारी नकाबपोश व्यक्ति कोई भी जबाव नहीं देता है। बस देखता रहता है। विक्रम सिंह राठौर ने जैसे ही कुछ और बोलने क लिए मुंह खोलना चाहा कि तभी आचानक वह कालेकपडेधार नाकाबपोश व्यक्ति विक्रम सिंह राठौर के सीेने में जोर से एक किक मारता है।किक इतनी जोर की होती है कि विक्रम सिंह राठौर सीधा अपनी कुर्सी पर जाकर गिरता है । विक्रम सिंह राठौर अपने आप को अभी सम्भाल भी पाता कि तभी तेजी से पूर्ति के साथ वह कालेकपडेधारी नाकाबपोश व्यक्ति हवा में एक छलांग लगाता हुये एक हाथ में खंजर लेकर उस खंजर को जोर से सीधा विक्रम सिंह राठौर के सीने में जड़ देता है और तेजी के साथ दूसरे हाथ से विक्रम सिंह राठौर के मुंह को बंद कर देता है। खंजर इतनी जोर से लगती है कि वो विक्रम सिंह राठौर के सीने को चीरते हुये सीधा उसके दिल में जाकर घुसता है और जिससे तुरंत उसी समय विक्रम सिंह की मौत हो जाती है और विक्रम सिंह का शरीर शांत हो जाता है।फिर वह काले कपडेधारी नकाबपोश वाला व्यक्ति कमरे से गायब हो जाता है और उसके जाते ही बिजली आ जाती है।
बिजली आने के बाद शालिनी दूध गर्म के एक गिलास में दूध ड़ालकर मालिती को आवाज देती है और मालिती कहती है जी मालिकीन ...आपने मुझे बुलाया ..तो शालिनी कहती है ...मालिती इस दूध के गिलास को साहब को दे आओ।
मालिती दूध का गिलास लेकर सीढियों से ऊपर जाती है और लाईब्रेरी का दरवाजा खटखटाने के बाद दरवाजा खोलकर अंदर जाती है और जैसे ही मालिती दरवाजा खोलकर अंदर लाईब्रेरी के रूम मे पहुंचती है तो सामने का नजारा देखकर उसके हाथ दूध का गिलास छूट जाता है और उसकी डर के कारण एक जोर चींख निकल जाती है।
मालिती की चीख सुनकर सभी परिवार वाले जल्दी से दौड़ते हुये भागे- भागे लाईब्रेरी में आ जाते तो सामने का नजारा देखकर सभी के सभी भौचौंके रह जाते है और पूरे कमरे में एकदम खामोशी सी छा जाती है।मानों उनके मुंह सी किसी ने आवाज ही छीन ली हो।सबकी हालात ऐसी थी मानों वे स्टेचू हो।क्योंकि उनके सामने खुन से सनी विक्रम सिंह राठौर की लाश थी।आँखे खुली और सीने में खंजर लगा हुआ और कपड़े खुन से साने हुये थे।
सायरा धीरे से विक्रम सिंह राठौर के करीब जाती है और सिसकते हुये बोलती पा..पा.पापा और जोर-जोर से रोने लगती है। रोते -रोते सायरा बेहोश हो जाती है और कुछ लोग सायरा को संभालने लगते है और उसे उसके कमरे में ले जाते है।सायरा को विकेरम सिंह राठौर की मौत से बहुत ही बड़ा झटका लग गया था..क्योंकि वह दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार तो अपने पापा से ही करती थी और पापा की लाड़ली परी थी।विक्रम सिंह राठौर ने उसे कभी किसी चीज की कमी होने ही नहीं दी थी। तो स्वाभाविक था कि सायरा को दु:ख ज्यादा होगा ही।
फिर कुछ ही देर में सभी का सात्वंना और धीरज देने के बाद विक्रम सिंह राठौर का बड़ा बेटा अजय सिंह राठौर पुलिस को फोन करता है और पुलिस बिना समय गंवाये राठौर फैमिली के घर आ जाती है और विक्रम सिंह राठौर की लाश को फॉरेंसिक लैब भेज दिया जाता है और इंस्पेक्टर सुशांत कमरे की पूरी तहतीकात करता है पर कमरे में कोई भी सुराख नहीं मिलता है और उसके बाद परिवार से सबाल- जबाव करके इस केस की छानबीन करने लगता है।
विक्रम सिंह राठौर की मौत का केस बहुत ही रहस्यमय बनता जा रहा था। एक माह गुजरने के बाद भी केस का कोई नतीजा नहीं निकल पाया था । इस रहस्यमय कत्ल के केस ने सुशांत राणावत की रातों की नींद हराम करके रख दी थी उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ...ऊपर कमशीनर के बार बार आर रहे फोन और बार-बार यही पुछना की केस क्या हुआ अभी तक कातिल पकड़ा क्यूं नहीं गया।देखो सुशांत तुम्हें मैं एक हफ्ते का टाईम देता हूं। एक हफ्ते के अंदर इस केस को सॉल्ब करो और कातिल को पकड़ो अगर नहीं पकड़ पाये तो तुम्हारी नौकरी खतरे में पड़ जायेगी।इस बात का तुम ख्याल रखना।
मैं भी परेशान हो चुका हूं प्रेस रिपोर्टरों के सवालों से...अब तुम चाहे जो करो ..मुझे एक हफ्ते में इस केस को सॉल्व करके फाईल को सबमिट कर भेजना।
कमीशनर की बातों को सुनकर सुशांत सिंह राठौर परेशान सा हो रहा था। बार सोचने पर इस केस के पीछे रहस्य का पता नहीं लग पा रहा था ..अपनी होंठों को भींचते हुये सुशांत सिंह राठौर कहता है डैमिंड कैसे इस केस की तह तक पहुंचे ...कैसे उस कातिल को ढुंढ रहा हूं। कुछ देर सोचने के बाद सुशांत सिंह तभी अपने दोस्त आर्यन का ख्याल आता है। जो कि एक इंटीलीजेंट जासूस होता है और अभी कुछ दिन पहले ही एक मिस्ट्री कत्ल वाले केस को सुलझाने पर बहुत ही ज्यादा फेमस हो गया था। वैसे तो आर्यन ने बहुत से रहस्यमय कत्ल के केस को सुलझाये है। परंतु उन केसों में उतनी प्रसिद्धि नहीं मिली थी जितन उसे एक पति -पत्नी जोडे की रहस्यमय तरीके से कत्ल वाले केस को सुलझाने पर मिली थी।सुशांत राणावत के पास अब आर्यन के अलावा और कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है तो वो आर्यन से मिलने के बारे में सोचता है।
शायद अब आर्यन ही मेरी मदद कर सकता है। इस रहस्यमय कत्ल की सुलाझने में।
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